नाइट ब्लड सर्वे में 244 फाइलेरिया मरीजों की हुई पहचान

-7255 सैंपल कलेक्ट किए गए सर्वे के दौरान, सभी की जांच में हुई पुष्टि

-राज्य से प्राप्त गाइडलाइन के अनुसार इन चिह्नित मरीजों का होगा इलाज


बांका-


 राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन के तहत जिले में नाइट ब्लड सर्वे का काम पूरा हो गया। जिले के सभी प्रखंड समेत शहरी क्षेत्र में नाइट ब्लड सर्वे का काम किया गया। सर्वे के लिए सभी प्रखंड में एक सेंटिनल तो एक रेंडम साइट बनाए गए थे। हर साइट पर 300 सैंपल लेने का लक्ष्य रखा गया था। इस लिहाज से पूरे जिले में 7200 सैंपल लेने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की टीम के बेहतर प्रयास से न सिर्फ लक्ष्य पूरा किया गया, बल्कि उससे अधिक 7255 सैंपल संग्रहित  किए गए। सभी सैंपल की  जांच भी करा ली  गई है ।  इनमें 244 फाइलेरिया मरीजों की पुष्टि हुई है। 

वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि जिले में नाइट ब्लड सर्वे का काम पूरा हो गया है। सभी सैंपल की जांच भी कर दी गई है। सर्वे के दौरान जांच में 244 मरीज मिले हैं। इन लोगों की प्रखंडवार सूची बनाई जा रही है। सभी का इलाज जल्द ही शुरू किया जाएगा। राज्य से प्राप्त गाइडलाइन के अनुसार सभी लोगों का इलाज किया जाएगा। फिलहाल सभी पॉजिटिव सैंपल्स और नेगेटिव सैंपल्स का 10 फ़ीसदी क्रॉस चेक के लिए राज्य में भेजा जाएगा।  उसके उपरांत गंभीर और सामान्य मरीजों को लेकर जो भी गाइडलाइन हैं, उसके अनुसार हमलोग मरीजों का इलाज करेंगे। उन्होंने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के दौरान जिलेवासियों का उत्साह काफी सकारात्मक रहा। काफी संख्या में लोग नाइट ब्लड सर्वे में सैंपल देने के लिए आए। 20 साल से अधिक उम्र के लोगों का सर्वे के दौरान सैंपल लिया गया। सर्वे के दौरान लिए गए सैंपल की जांच भी तेजी से की गई। 

रात में सैंपल लेने से आती है सही रिपोर्टः डीभीबीडीसीओ डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां रात में लोगों के रक्त के नमूने लिये जाते हैं। इसे प्रयोगशाला भेजा जाता  और रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। फाइलेरिया के  परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट पता चल पाता । इससे फाइलेरिया के संभावित मरीज का समुचित इलाज किया जाता है। 

नियमित और उचित देखभाल जरूरीः डीभीबीडीसीओ डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आता है। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसकी नियमित व उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। फाइलेरिया से बचाव के लिए समय-समय पर सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। इसमें आशा घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाती हैं।


रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

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