बिहार चुनाव 2025: एनडीए के ठोस वादे बनाम महागठबंधन के चुनावी जुमले – जनता तय करेगी विकल्प

-विकसित बिहार के लिए जंगलराज का अंतिम सफाया आवश्यक


-डॉ प्रदीप कुमार वर्मा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 निर्णायक चरण में है। पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है और दूसरे चरण की तैयारियां चरम पर हैं। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन के बीच मुकाबला विकास, सुरक्षा और शासन मॉडल पर केंद्रित है। जहां एनडीए अपने पिछले कार्यकाल के ठोस उपलब्धियों और व्यावहारिक वादों पर जोर दे रहा है, वहीं महागठबंधन असंभव और अव्यावहारिक वादों से जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है। पहले चरण में मतदान प्रतिशत में हुई वृद्धि ने महागठबंधन के फर्जी वोटरों के आरोप को निराधार साबित कर दिया है। जनता अब साफ विकल्प देख रही है – एक तरफ वास्तविकता पर आधारित विकास, दूसरी तरफ चुनावी जुमलों का पिटारा।

एनडीए ने विकास को अपना मुख्य हथियार बनाया है। बंद पड़ी चीनी मिलों को पांच साल में चालू करने का वादा किया गया है, जिसमें रीगा चीनी मिल पहले से ही उदाहरण है। डिफेंस कॉरिडोर, राम-जानकी पथ, सीतामढ़ी-अयोध्या कनेक्टिविटी, वंदे भारत ट्रेन और AIIMS दरभंगा जैसे प्रोजेक्ट्स को तेज गति से पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई गई है। फूड प्रोसेसिंग, पर्यटन, मेट्रो और बुनियादी ढांचे पर विशेष फोकस है। स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट को 700 करोड़ से बढ़ाकर 20,000 करोड़ किया गया, मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाई गई और पटना में मेट्रो चल रही है – जो पहले जहां मौत दौड़ती थी, वहां अब विकास की रफ्तार है। केंद्र से आवंटन के आंकड़े भी स्पष्ट हैं – UPA के 10 सालों में बिहार को मात्र 2 लाख करोड़ मिले, जबकि एनडीए ने 15 लाख करोड़ से अधिक दिए।

दूसरी ओर, महागठबंधन के वादे केवल कागजी और चुनावी जुमले हैं। सत्ता में आने की कोई संभावना नहीं होने के बावजूद, वे असंभव वादों से जनता को ठगने की कोशिश कर रहे हैं। उनके पास न कोई योजना है, न पिछले कार्यकाल का कोई ठोस उदाहरण। ये वादे सिर्फ वोट हासिल करने के लिए हैं, जिन्हें पूरा करना दूर की कौड़ी है।

सुरक्षा के मोर्चे पर एनडीए का संदेश स्पष्ट है। जंगलराज के काले दौर को याद दिलाते हुए सिवान में 75-75 हत्याओं और शहाबुद्दीन जैसे अपराधियों का जिक्र किया गया। कहा गया कि अब 100 शहाबुद्दीन भी बाल बांका नहीं कर सकते। नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है और जल्द पूरा देश मुक्त हो जाएगा। घुसपैठियों पर सख्ती का वादा है – बांग्लादेशी घुसपैठिए बिहार का मुख्यमंत्री तय नहीं करेंगे। धारा 370 की तरह उन्हें खदेड़ा जाएगा और उनकी संपत्ति जब्त कर गरीबों में बांटी जाएगी। बुलडोजर मॉडल से अपराधियों पर सख्त कार्रवाई का संदेश दिया गया।

महागठबंधन पर माफिया प्रेमी होने का आरोप है। उन्हें 'कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुशासन और करप्शन' का प्रतीक बताया गया। गोलू अपहरण कांड, फिरौती, दोनाली और रंगदारी का युग उनके शासन का पर्याय रहा। 'पप्पू, टप्पू, अप्पू' को तीन बंदरों की जोड़ी कहकर माफिया संरक्षण का आरोप लगाया गया। उनके वादे अपराध मुक्त बिहार के हैं, लेकिन पिछले रिकॉर्ड से साफ है कि वे अपराध को संरक्षण देते रहे हैं।


एनडीए ने महागठबंधन को परिवारवादी राजनीति का प्रतीक बताया – एक तरफ बेटे को मुख्यमंत्री बनाने की महत्वाकांक्षा, दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्तर पर वंशवाद। सांस्कृतिक मोर्चे पर राम मंदिर के बाद जानकी मंदिर और राम-जानकी मार्ग का वादा किया गया। बिहार-उत्तर प्रदेश के त्रेता युगीन रिश्ते को एक परिवार की तरह आगे बढ़ाने की बात कही गई। विपक्ष को बाबर-औरंगजेब की मजार पर सजदा करने वाला बताया गया।

महागठबंधन के पास इन मुद्दों पर कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं। वक्फ बोर्ड पर झूठ फैलाने का आरोप उन पर है, जबकि संसद में बना कानून कोई नहीं हटा सकता।

एनडीए ने महिलाओं, युवाओं और किसानों से बंपर वोटिंग की अपील की है। 14 नवंबर को पूर्ण बहुमत वाली सरकार और महागठबंधन के सफाए का दावा किया गया। विकास बनाम धमकी ('ठोक देंगे कपार में') की बहस में एनडीए सेवा भाव और ठोस नीतियों पर खड़ा है।

महागठबंधन के पास सिर्फ आरोप और जुमले हैं। सत्ता दूर होने के कारण वे जनता को भ्रमित करने में लगे हैं।

बिहार की जनता के सामने स्पष्ट विकल्प है – एनडीए के ठोस, व्यावहारिक और पूरे हो सकने वाले वादे या महागठबंधन के असंभव, अविश्वसनीय और केवल चुनावी जुमले। पहले चरण के उच्च मतदान प्रतिशत ने साफ कर दिया है कि जनता जंगलराज नहीं, विकास चाहती है। 14 नवंबर को परिणाम आएंगे, लेकिन संकेत स्पष्ट हैं – एनडीए को भारी बहुमत मिलना तय है। विकसित बिहार के लिए जंगलराज का अंतिम सफाया आवश्यक है।


(लेखक राज्यसभा के सदस्य और झारखंड बीजेपी के महामंत्री हैं)

रिपोर्टर

  • Aishwarya Sinha
    Aishwarya Sinha

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