गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु के लिए भी जरूरी है आयोडिन

- उचित आयोडिन से बच्चों का होगा शारीरिक और मानसिक विकास

- आयोडिन की कमी से गर्भस्थ शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास में हो सकती है परेशानी

लखीसराय-

गर्भधारण के साथ ही महिलाओं में सुरक्षित प्रसव व स्वस्थ बच्चे के जन्म की पहली चाहत होती है। किन्तु, इसके लिए हर गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की जरूरत है। तभी सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ बच्चे का जन्म होगा। अन्यथा थोड़ी सी लापरवाही भी बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है। इसके लिए शरीर में उचित आयोडिन की मात्रा हो इसको लेकर सजग रहने की जरूरत है। दरअसल, आयोडिन की कमी से गर्भस्थ शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। इसलिए, स्वस्थ बच्चे के जन्म के लिए शरीर में पर्याप्त आयोडिन होना जरूरी है।

- गर्भस्थ शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आयोडिन जरूरी :-
लखीसराय के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि गर्भस्थ शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए गर्भवती के शरीर में उचित मात्रा में आयोडिन होना जरूरी है। दरअसल, आयोडिन की कमी के कारण कम वजन वाला शिशु जन्म लेता है। इतना ही नहीं ऐसे में मृत शिशु का भी जन्म हो सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान हर गर्भवती को आयोडिन को लेकर सजग रहना चाहिए। इसके लिए चिकित्सकों से सलाह लेनी चाहिए।

- आयोडिन युक्त नमक का करें उपयोग :-
आयोडिन मिट्टी एवं पानी में पाए जाने वाला सूक्ष्म तत्व है। आयोडिन कमी की समस्याओं को दूर करने के लिए आयोडिन युक्त नमक का सेवन करना चाहिए। यह हर आयु वर्ग के लोगों के लिए जरूरी है। क्योंकि, आयोडिन का शरीर में उचित मात्रा में होना हर किसी के लिए जरूरी है। हालाँकि, अल्पमात्रा में ही आयोडिन हमारे शरीर के लिए जरूरी है।

- आयोडिन की कमी महसूस होते ही चिकित्सकों से कराएं जाँच :-
शरीर में आयोडिन की कमी महसूस होते ही तुरंत चिकित्सकों से जाँच करानी चाहिए और चिकित्सा परामर्श के अनुसार ही आगे की प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। इसका शुरुआती लक्षण है शुष्क त्वचा, बालों का झड़ना, बोली में भारीपन समेत शरीर में अन्य परेशानी महसूस होना। इसलिए, आहार के साथ उचित आयोडिन का सेवन करना जरूरी है।

- आयोडिन की कमी से कई तरह की होती है परेशानी :-
आयोडिन एक पोषक तत्व है। जिसकी कमी से लोगों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। जैसे नींद अधिक आना, श्वास व हृदय से संबंधित परेशानी, डिप्रेशन, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द आदि परेशानी आयोडिन की कमी से ही होती है। इसलिए, भले ही शरीर में आयोडिन अल्पमात्रा में ही जरूरी है किन्तु, कमी होने पर बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वयस्कों के लिए सामान्यतः प्रतिदिन 150 माइक्रोग्राम (एमसीजी)आयोडिन की आवश्यकता होती है। जबकि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रति दिन 200 एमसीजी जरूरी है।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

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