विटामिन ए और पोषण की कमी से होता है बच्चों में खसरा संक्रमण 

 
-रोग से जा सकती है आंखों की रोशनी, होती सकती है मौत
-कुपोषित बच्चे अधिक होते हैँ प्रभावित
-बच्चों का ज़रूर करवाएं एमआर टीकाकरण 
 
लखीसराय-
 
कहा जाता है स्वास्थ्य ही हर इंसान की सब से बड़ी पूँजी है। इस कारण हम सभी को अपने स्वाथ्य के प्रति सतर्क रहने की आवश्कता है। विशेषकर बच्चों की रोग प्रतिरोधी क्षमता को अधिक ध्यान में रखना इसलिये भी आवशयक  होता है। ताकि भविष्य में वे किसी भी रोग से सामना कर सकें। संक्रामक बीमारियों में खसरा एक गंभीर और घातक बीमारी है, जो बच्चों की मौत का कारण भी बनती। ऐसे में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर उनकी सुरक्षा की जा सकती और इसका प्रभावी तरीका टीकाकरण है।  
 
लाल छोटा दाना व सूखी खांसी को नहीं करें नजरअंदाज: 
खसरा रोग को मीजल्स भी कहते हैं। यह रुबैला वायरस के कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक खसरा रोग संक्रमित व्यक्ति के खांसी या छींक के साथ निकलने वाली बूंदों में मौजूद  वायरस हवा में फैल जाता और यह दूसरे को प्रभावित करता है। इसके लक्षण दिखने में 14 दिन लग जाते हैं। संक्रमण के कारण मरीज को खांसी व बुखार के साथ शरीर पर खुजली वाले लाल दाने हो जाते हैं। ये दाने पहले कानों के पीछे, गर्दन व सिर पर उभरते हैं। मरीज न्यूमोनिया व गंभीर डायरिया से पीड़ित हो जाता है। इलाज नहीं मिल पाने के कारण उसकी मौत तक हो जाती है। 
---लक्षणों की पहचान इस प्रकार की जा सकती है-- 
 
•सूखी खांसी
•गले में खराश 
•बहती नाक 
•आंखों में सूजन
•त्वचा पर चकते 
 
विटामिन ए की कमी व कुपोषण संक्रमण की वजह:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार भारती कहते हैं 
खसरा कई शारीरिक जटिलताओं जैसे अंधापन, मैनिन्जाइटिस या मस्तिष्क में सूजन सहित ब्रेन डैमज का कारण बनता है। इस संक्रमण का एक बड़ा कारण पोषण की कमी है। कुपोषित बच्चों में संक्रामक बीमारियां जल्द धावा बोल शरीर को बीमार कर देती हैं। विटामिन ए की कमी के साथ कमजोर रोग प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चों को यह बहुत अधिक जल्द प्रभावित करती है। 
 
एमआर का टीका बच्चों को जरूर लगवायें: 
स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता रहा है। जिसमें एमआर टीकाकरण में खसरा के टीके को मंप्स और रुबैला के टीके के साथ ही लगाया जाता है।  संक्रमण को लेकर एक धारणा यह भी है कि इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लेकिन ये सब मिथ्याएं हैं । समय पर इलाज नहीं होने से बच्चे की मौत हो जाती है। खसरा संक्रमण की रोकथाम के लिए एमएमआर टीकाकरण ही प्रभावी है। पहला टीकाकरण नौ माह  पर एवं दूसरा सोलह से चौबीस  महीने के बीच किये जाते हैं। इसके साथ ही शिशु को विटामिन ए की खुराक भी दी जाती है।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

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