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लखीसराय जिले में कम वजन वाले नवजात के जन्म में आई है कमी
-कुपोषित बच्चों के लिए वरदान है जिला का पोषण पुनर्वास केंद्र
लखीसराय-
बता दें कि कुपोषण की स्थिति से निबटने के लिए ही पोषण पुनर्वास केन्द्र की स्थापना की गई है। यहाँ पर कुपोषण से ग्रसित बच्चे की उचित देखभाल कर उसे कुपोषण से पूरी तरह से मुक्त कर स्वस्थ्य बच्चे की श्रेणी में लाने का मकसद रहता है ।
जिला के सिविल सर्जन डॉ.बी पी सिन्हा ने बताया एनआरसी में 0 से 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया जाता है। 14 दिन बच्चों को एनआरसी में रखकर उनका इलाज व स्पेशल डाइट तैयार किया जाता है। जिसमें सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज तत्व युक्त भोजन आहार विशेषज्ञ द्वारा तैयार किया जाता है। यह आहार शुरुआती दौर में 2-2 घंटे बाद दिया जाता है। यह प्रक्रिया रात में भी चलती है। उन्होंने बताया दिन में तीन बार शिशु रोग विशेषज्ञ द्वारा भर्ती बच्चों की देखरेख की जाती और इलाज नि:शुल्क होता है। उन्होंने बताया एनआरसी से बच्चे की छुट्टी होने के बाद चार बार फॉलोअप किया जाता है। फॉलोअप के दौरान बच्चे की मां को साफ- सफाई, उचित पोषण के बारे में विस्तृत रूप से जानकारियां दी जाती हैं। एनआरसी में बीस बेड की व्यवस्था है ।
एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार जिले में कम वजन वाले नवजात बच्चों के जन्म में आई है कमी :
सिविल सर्जन डॉ. बीपी सिन्हा ने बताया कि एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार जिले में कम वजन वाले बच्चों के जन्म के प्रतिशत में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि
एनएफएचएस 4 के आंकड़ों के अनुसार जिले में 47.3 प्रतिशत कम वजन वाले बच्चों का जन्म होता था जबकि एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार 45.1 प्रतिशत कम वजन वाले नवजात का जन्म हो रहा है। उन्होंने सभी स्वास्थ्यकर्मी को बधाई देते हुए कहा है कि हम सभी को इसी तरह अपने कार्य को मजबूती के साथ करते हुए अपने जिला की राज्य में पहचान बनानी है ।
पोषण पुर्नवास केंद्र में भर्ती होने के लिए तय किए गए हैं ये मानक :
कुपोषण के शिकार बच्चे को एनआरसी में भर्ती करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत बच्चों की विशेष जांच जैसे उनका वजन व बांह आदि का माप किया जाता है। इसके साथ हीं छह माह से अधिक एवं 59 माह तक के ऐसे बच्चे जिनकी बाईं भुजा 11.5 सेमी हो और उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन न बढ़ता हो वो कुपोषित माने जाते हैं। वैसे बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। इसके साथ ही दोनों पैरों में पीटिंग एडीमा हो तो ऐसे बच्चों को भी यहां पर भर्ती किया जाता है।
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Aishwarya Sinha