सदर अस्पताल में वर्ष 23-24 के दौरान कुल 869 गर्भवती महिलाओं का हुआ सिजेरियन डिलीवरी

- इसी दौरान सदर अस्पताल मुंगेर में कुल 296 महिलाओं का हुआ प्रसव के साथ बंध्याकरण
- सदर अस्पताल मुंगेर में उपलब्ध है संस्थागत प्रसव के लिए समुचित संसाधन
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मुंगेर-

सदर अस्पताल मुंगेर में अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के दौरान कुल 869 गर्भवती महिलाओं का हुआ सिजेरियन डिलीवरी । इस आशय की जानकारी सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार सिन्हा ने दी। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल मुंगेर 2023 के अप्रैल में 53, मई में 58, जून में 56, जुलाई में 76, अगस्त में 73, सितंबर में 91, अक्टूबर में 83, नवंबर में 63, दिसंबर में 78 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन डिलीवरी किया गया है। इसी प्रकार से जनवरी 2024 में 79, फरवरी में 79 और मार्च के महीना में कुल 80 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन डिलीवरी किया गया है। उन्होंने बताया कि सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए सदर अस्पताल पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं का सबसे पहले प्रसव कक्ष में कार्यरत महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सक, प्रशिक्षित स्टाफ नर्स, एएनएम सहित कार्यरत अन्य स्वास्थ्य कर्मियों कि टीम के द्वारा सभी आवश्यक जांच करने के बाद पहले तो सामान्य प्रसव को प्राथमिकता दिया जाता है बावजूद इसके विषम परिस्थितियों में जटिल समस्याओं को देखते हुए ऑपरेशन किया जाता है ताकि उस परिस्थिति में जच्चा और बच्चा कि सुरक्षित किया जा सके।

जिला स्वास्थ्य समिति मुंगेर के जिला सामुदायिक उत्प्रेरक (डीसीएम) निखिल राज ने बताया कि अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के दौरान सदर अस्पताल मुंगेर में कुल 296 माताओं का प्रसव के साथ- साथ महिला बंध्याकरण या पोस्ट पार्टम स्टरलाइजेशन (पीपीएस) किया गया। उन्होंने बताया कि 2023 के अप्रैल में 1, मई में 16, जून में 16, जुलाई में 23, अगस्त में 27, सितंबर में 31, अक्टूबर में 23, नवंबर में 27 और दिसंबर में 28 महिलाओं का प्रसव के साथ बंध्याकरण किया गया। इसी प्रकार से 2024 के जनवरी महीना में कुल 30, फरवरी में 31 और मार्च के महीना में कुल 27 महिलाओं ने परिवार नियोजन के स्थाई साधन के रूप में पोस्ट पार्टम स्टरलाइजेशन (पीपीएस) को अपनाया ।

सदर अस्पताल मुंगेर कार्यरत महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अर्चना ने बताया कि प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के दौरान ही उच्च जोखिम वाला गर्भवस्था (एचआरपी ) का पता चल जाता है। बावजूद इसके कभी- कभी ऐसा भी होता है कि लंबे समय तक प्रसव पीड़ा का नहीं होना, ज्यादा वजन का बच्चा, उच्च रक्तचाप, बच्चा का उल्टा या तिरछा होना, माता का वजन ज्यादा होने कि स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी का निर्णय लेना पड़ता है। उन्होंने बताया कि आज कल गर्भावस्था के दौरान ज्यादा आराम करने वाली महिलाएं, गर्भावस्था को भी एक बीमारी के रूप में लेने लगी हैं। इसकी वजह से भी संस्थागत और सुरक्षित सामान्य प्रसव नहीं हो पा रहा है। सदर अस्पताल में प्रसव से संबंधित सभी प्रकार कि आवश्यक इंतजाम कि शत प्रतिशत उपलब्धता हर समय उपलब्ध रहता है। उन्होंने बताया कि सिजेरियन डिलीवरी के तत्काल बाद महिला बंध्याकरण करवाना लाभार्थी के लिए काफी सहूलियत भरा होता है इसलिए हमलोग भी लाभार्थी को सिजेरियन डिलीवरी के साथ ही फैमिली प्लानिंग का स्थाई साधन पोस्ट पार्टम स्टरलाइजेशन कि सलाह लाभार्थी को देते हैं।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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