टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में अपना सहयोग सुनिश्चित कर रहे सीएचओ

 

पटना-

यक्ष्मा उन्मूलन के लिए राज्य सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग संकल्पित है. इसमें सबका सहयोग आवश्यक है. यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम में अब आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर स्तर तक टीबी का उपचार किया जा रहा है. विभिन्न जिलों में इन सेंटरों पर पदस्थापित सीएचओ द्वारा टीबी के इलाज में सहयोग किया जा रहा है. जांच के उपरांत उपचार तथा फॉलो अप सीएचओ द्वारा किया जा रहा है. राज्य आईईसी पदाधिकारी- यक्ष्मा, बुशरा अज़ीम ने बताया कि कई सीएचओ अपने बेहतर कार्यों से अपने प्रखंड एवं जिले में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में अहम् भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि समुदाय को चिकित्सीय सुविधा मुहैय्या कराने में संचालित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बेहतर काम कर रहा है. इनमे सीएचओ अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. सेंटर पर पहुँचने वाले लोगों से सीधा संवाद कर उनकी समस्याओं को समझना एवं समुचित उपचार एवं परामर्श उपलब्ध करा कर सीएचओ समुदाय के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में समुदाय को जागरूक कर रोग से बचाव, लक्षणों की पहचान एवं दवा के पूरे कोर्स के सेवन की महत्ता बताने में सीएचओ अपनी भूमिका निभा रहे हैं.
नियमित बातचीत एवं समझाने से हो रहा बदलाव:
बक्सर के ब्रह्मपुर प्रखंड स्थित बलुआ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सीएचओ रंजू कुमारी बताती हैं कि संभावित टीबी मरीजों को चिन्हित करने में आशा कार्यकर्ताओं से नियमित बातचीत एवं फॉलो अप का बेहतर परिणाम देखने को मिला है. आशा कार्यकर्ता संभावित टीबी मरीजों को चिन्हित कर मुझे बताती हैं और फिर में मरीजों के घर जाकर उनसे बातचीत करती हूँ और उनका मनोबल बढ़ाती हूँ. अगले दिन मैं मरीज को सेंटर पर बुलाकर उसकी पूरी जानकारी दर्ज करके आगे जांच एवं उपचार की प्रक्रिया शुरू करती हूँ. ज्ञात हो कि संभावित टीबी मरीजों के एग्जामिनेशन में रंजू कुमारी सभी सीएचओ में नंबर एक पोजीशन पर हैं.
जागरूकता है सबसे बड़ा हथियार:
मधुबनी के बेनीपट्टी प्रखंड स्थित अरेर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के सीएचओ दयानंद बताते हैं कि वह एक टीबी मरीज थे और टीबी चैंपियन के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. उन्हें इस रोग से गुजरने का अनुभव है और वह हर संभव प्रयास करते हैं जिससे समुदाय टीबी से सुरक्षित रह सके. उन्होंने बताया कि इस रोग से सुरक्षा का सबसे सशक्त जरिया जागरूक होकर टीबी के लक्षणों के बारे में जानना एवं लक्षण दिखाई देने पर अविलंब चिकित्सीय सहायता लेना है. दयानंद ने बताया कि सेंटर पर ओपीडी के दौरान वह किसी भी व्यक्ति को अगर खांसी की शिकायत हो तो वह तुरंत इसकी पूरी जानकारी लेते हैं और आगे की कार्यवाही करते हैं. जन आरोग्य समिति एवं आम सभा की बैठकों में वह नियमपूर्वक टीबी के बारे में चर्चा करते हैं.
गृह भ्रमण कर टीबी मरीजों की स्थिति का बेहतर आंकलन:
सिवान सदर प्रखंड स्थित मकारियार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सीएचओ अनीता देवी बताती हैं कि सेंटर पर आने वाले किसी व्यक्ति में अगर टीबी की पुष्टि होती है तो वह यह सुनिश्चित करती हैं कि मरीज के परिजनों की भी जांच हो. अनीता देवी बताती हैं कि लक्षण नजर आते ही वह उस व्यक्ति की पूरी जानकारी दर्ज करती हैं और उन्हें अपने स्पुटम का सैंपल देने को कहती हैं ताकि जांच कर रोग की पुष्टि हो सके. ससमय निक्षय पोर्टल पर सारी जानकारी दर्ज कर वह प्रखंड स्तरीय अधिकारीयों को इसकी सूचना देती हैं. आशा एवं एएनएम के सहयोग से वह समुदाय में रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने का कार्य करती हैं.

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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