फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत कैदियों को गठित टीम ने खिलायी दवा

 

- मंडल कारा में 310 कैदियों को खिलाई गई फाइलेरिया से बचाव की दवा

- भीडीसीओ के नेतृत्व में गठित स्वास्थ्य टीम द्वारा खिलाई गई एल्बेंडाजोल, आइवरमेक्टीन और डीईसी की दवा


शेखपुरा-


जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए आईडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) अभियान को सफल बनाने के लिए लगातार स्वास्थ्य टीम द्वारा समुदाय को बूथ बनाकर दवा खिलायी जा रही है । ताकि एक भी लोग दवाई खाने से वंचित नहीं रहें और अभियान सफल हो सके। इसी कड़ी में मंडल काराधीक्षक लाल बाहदुर सिंह ने इस अभियान का फीता काटकर एवं दीप जलाकर शुभारंभ किया । इस अवसर पर उन्होंने कहा जेल के कैदियों को दवा खिलाना स्वास्थ्य विभाग का एक सराहनीय कदम है । इस अभियान के तहत जेल में कुल 310 कैदियों को दवाई खिलाई गई।
फाइलेरिया रोधी के इस अभियान में भीबीडीसीओ श्यामसुंदर कुमार के नेतृत्व गठित स्वास्थ्य टीम द्वारा सबसे पहले काराधीक्षक को दवाई खिलाई गई। इसके बाद गठित स्वास्थ्य टीम द्वारा तय मानकों के अनुसार जेल के कैदियों को दवा खिलाया गया । इस दौरान भीबीडीसीओ श्यामसुंदर कुमार ने कहा, फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाव के लिए एल्बेंडाजोल व डीईसी की दवा का सेवन बहुत जरूरी है। इसलिए, मैं तमाम कैदियों एवं पूरे जिले वासियों से अपील करता हूँ कि निश्चित रूप से पूरी तरह निःसंकोच होकर दवा खिलाने वाली टीम के सामने दवा का सेवन करें। यही इस बीमारी से बचाव के लिए सबसे कारगर और बेहतर कदम होगा।

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार सिंह ने बताया, फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जिला भर में आईडीए अभियान चलाया रहा है। इजिसमे में अब तक 7,05,623 लोगें ने दवा खाया है । उन्होंने बताया जेल के शत-प्रतिशत कैदियों को दवाई खिलाना सुनिश्चित करने के लिए ही स्वास्थ्य टीम का गठन किया गया था ।

- फाइलेरिया क्या है ?
- फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है।
- किसी भी उम्र के व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है।
- फाइलेरिया के लक्षण हाथ और पैर में सूजन (हाँथीपाँव) व हाईड्रोशील (अण्डकोष में सूजन) है।
- किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में 05 से 15 वर्ष लग सकते हैं।

- इन बातों का रखें ख्याल :
- भूखे पेट दवा नहीं खिलाना है।
- किसी के बदले किसी अन्य को दवा ना दें और स्वास्थ्य कर्मी के सामने दवा खाएं।
- गर्भवती महिलाओं को दवा नहीं खिलाना है।
- 02 वर्ष छोटे बच्चे को दवा नहीं खिलाना है।
- गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को भी दवा नहीं खिलाना है।
- साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
इस मौके पर पिरामल के प्रतिनिधि राहुल कुमार , भीबीडीएस मनोज कुमार ,के साथ टीम के सदस्य मौजूद थे ।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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