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सुरक्षित प्रसव लगाएगा मातृ-शिशु मृत्यु दर पर लगाम
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- Sep 03, 2020
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- शिशु मृत्यु दर में कमी के लिए सुरक्षित प्रसव एवं उचित स्वास्थ्य प्रबंधन पर जोर
- सुरक्षित प्रसव के लिए प्रसव से पूर्व चार बार जांच कराना है जरुरी
- प्रसव पूर्व जांच से गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य की जानकारी
लखीसराय, 03 सितम्बर
सरकार मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है। योजनाबद्ध तरीके से काम करते हुए इस पर अंकुश लगाया जा रहा है। सुरक्षित प्रसव को लेकर जागरुक्ता अभिशन चलाया जा रहा है और फील्ड वर्करों को इसके लिए विशेष मिशन के तहत लगाया जा रहा है। मातृ शिशु मृत्यु दर पर लगाम लगाने के लिए सरकार सुरक्षति प्रसव को लेकर कई योजनाएं चला रही है। सुरक्षित प्रसव के ऑकड़ों में वृद्धि लाकर मातृ शिशु मृत्यु दर पर विराम लगाने पर मंथन किया जा रहा है। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल संचालन के लिए जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर पर निरंतर प्रयास किए जा रहें हैं, जिसका साकारात्मक असर भी दिख दिख रहा है। जागरुकता अभियान चलाए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलाएं जागरुक होकर मुहिम को सफल बनाने में लगी हैं।
- जागरुकता को लेकर चल रही मुहिम
जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि सुरक्षित प्रसव के लिए स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ विभाग से जुड़ी एएनएम और आशा अपने-अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रहीं हैं। डॉ देवेन्द्र चौधरी का कहना है कि गर्भावस्था में शिशु के बेहतर विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाले रक्तस्राव के प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून होना आवश्यक होता है। एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रसव पूर्व जांच के प्रति महिलाओं की जागरूकता ना सिर्फ एनीमिया रोकथाम में सहायक होती है बल्कि सुरक्षित मातृत्व की आधारशिला भी तैयार करती है। ऐसे में प्रसव पूर्व जांच की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि यह मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- सुरक्षित मातृत्व के लिए प्रसव पूर्व जांच है जरूरी
सुरक्षित मातृत्व के लिए प्रसव पूर्व जांच कराना जरूरी होता है। माह की हर नौ तारीख को पीएचस एवं अन्य सरकारी अस्पतालों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत मुफ्त जांच की जाती है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस आदि कार्यक्रम के माध्यम से एनेमिक गर्भवती महिलाओं की जांच की जा रही है, साथ ही सामुदायिक स्तर पर गर्भवती महिलाओं को बेहतर खान-पान के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही अधिक से अधिक गर्भवती माताओं के प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित कराने पर बल दिया जा रहा है। इसके लिए सभी एएनएम एवं आशाओं का क्षमता वर्धन भी किया गया है, साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के साथ क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को भी इसको लेकर विशेष निर्देश दिए गए हैं। गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व चारो जांच माता एवं उसके गर्भस्थ शिशु की स्थिति स्पष्ट करती है और संभावित जटिलताओं का पता चलता है। लक्षणों के मुताबिक जरुरी चिकित्सीय प्रबंधन किया जाता है ताकि माता और उसके शिशु दोनों स्वस्थ रहें।
- प्रसव पूर्व तैयारी है जरुरी
जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र चौधरी का कहना है कि सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता देनी चाहिए और प्रसव तिथि नजदीक आने के पूर्व जरुरी तैयारी कर लेनी चाहिए। इसमें लाभार्थी एवं उसके परिवार के सदस्य एएनएम एवं नजदीकी आंगनवाड़ी की सहायता लेकर जरुरी इंतजाम कर सकते हैं और सुरक्षित प्रसव के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला अस्पताल जा सकते हैं।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Premier World (Admin)