आगामी सर्वजन दवा सेवन अभियान हेतु दिया गया एकदिवसीय टीओटी प्रशिक्षण

 

प्रखंड स्तरीय प्रभारी एवं स्वास्थ्यकर्मी को दिया गया एकदिवसीय टीओटी प्रशिक्षण

- जिले के न्यू फैब्रिकेटेड अस्पताल सभागार में दिया गया टीओटी प्रशिक्षण

 

मुंगेर-


आगामी 10 फरवरी से जिले के लगभग सभी प्रखंडों में शुरू होने वाले सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) राउंड की सफलता को ले गुरुवार को जिले के न्यू फैब्रिकेटेड अस्पताल सभागार में ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स (टीओटी) प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ रामप्रवेश प्रसाद के द्वारा उपस्थित सभी अधिकारियों को एमडीए राउंड के लिए जल्द से जल्द माइक्रो प्लान तैयार कर भेजने का निर्देश दिया गया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष एमडीए राउंड 14 दिन के बजाय कुल 17 दिनों का होगा। जीसमें शुरू 14 दिनों के बाद अंतिम 3 दिनों तक लोगों को फाइलेरिया कि दवा खिलाने वाली आशा कार्यकर्ता के द्वारा क्षेत्र में मौजूद सरकारी स्कूलों में बूथ लगाकर बच्चों, शिक्षक शिक्षिकाओं सहित अन्य स्कूल के स्टाफ को फाइलेरिया कि दवा खिलानी है और उसके बाद उनके उंगली में मार्क लगाना है जैसे चुनाव के वक्त लगाया जाता है। इसके अलावा बाकी के 14 दिनों के दौरान आशा कार्यकर्ता घर- घर जाकर सभी लोगों को फाइलेरिया कि दवा खिलाने के बाद चौक या गेरू कि मदद से घर कि दीवारों पर मार्किंग करेगी। इस दौरान प्रखंड स्तर पर कार्यरत सीएचसी/पीएचसी लेवल पर भी बूथ लगाकर वहां आने- जाने वाले सभी लोगों को फाइलेरिया कि दवा खिलाया जाना है। उन्होंने बताया कि बूथ लेवल पर दवा सेवन और डोर टू डोर दवा सेवन करवाने के बाद प्रॉपर तरीके से उसकी रिपोर्टिंग भी करनी है। जैसे बूथ लेवल के लिए टैली सीट पर और डोर टू डोर के लिए पारंपरिक तरीके से की जाती है । उन्होंने बताया कि स्वीकृति एप पर एमडीए राउंड कि ऑनलाइन रिपोर्टिंग भी करनी है।

पीपीटी स्लाइड के माध्यम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को संबोधित करते हुए डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बोर्न डिजीज कंसल्टेंट पंकज कुमार प्रणव ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सरकार के द्वारा दो प्रकार का कार्य किया जा रहा है। पहला सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) इसके अंतर्गत साल में एक बार फाइलेरिया रोगियों सहित सभी लोगों को फाइलेरिया जैसी दिव्यांग बनाने वाली बीमारी से बचाव के लिए फाइलेरिया रोधी दवा के रूप में अल्बेंडाजोल और डीईसी दवा का सेवन कराया जाता है। इस दौरान दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को फाइलेरिया कि दवा नहीं खिलाया जाता है।
दूसरा कार्य रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता से बचाव (एमएमडीपी) इसके अंतर्गत एमएमडीपी क्लिनिक के माध्यम से हाथीपांव का प्रबंधन, एक्यूट अटैक का प्रबंधन, हाइड्रोसिल का ऑपरेशन के साथ- साथ प्रतिदिन साफ- सफाई और एक्सरसाइज के बारे में बताया जाता है। उन्होंने बताया कि एमडीए राउंड कि सफलता के लिए प्रखंड स्तर पर आशा कार्यकर्ता सहित अन्य लोगों के लिए ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ट्रेनिंग, ब्लॉक कोऑर्डिनेशन कमेटी कि मीटिंग के साथ- साथ प्रतिदिन इवनिंग मीटिंग भी करना है। इसके अलावा किसी भी एडवर्स कंडीशन के निपटने के लिए रैपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन करना है।
प्रशिक्षण में डाटा एंट्री को लेकर IHIP पर जिला मूल्यांकन विभाग के शशि कुमार एवं सुकीर्ति ऐप पर पिरामल के राजेश सिन्हा के द्वारा प्रशिक्षण दी गई।
प्रशिक्षण में जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार, वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी, जिला फाइलेरिया कर्मी , पिरामल फाउंडेशन के जिला एवं प्रखंड स्तरीय कर्मी , प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रबंधक, , प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक, और भीबीडीएस शामिल हुए।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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