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भारत के किशनगंगा बांध परियोजना पर पाकिस्तान को विश्व बैंक से तगड़ा झटका
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- Jun 06, 2018
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इस्लामाबाद । भारत के किशनगंगा बांध परियोजना पर पाकिस्तान को विश्व बैंक से तगड़ा झटका लगा है। किशनगंगा परियोजना की शिकायत लेकर विश्व बैंक पहुंचे पाकिस्तान को विवाद पर भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करने की सलाह दी गई है। विश्व बैंक ने पाकिस्तान से कहा है कि वह इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत (आईसीए) में ले जाने के बजाय भारत की तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त करने की पेशकश को स्वीकार कर ले। भारत ने दो साल पहले ही इस प्रस्ताव की पेशकश की थी। विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने पिछले हफ्ते पाकिस्तान सरकार को सलाह दी है कि वह मामले को आईसीए में ले जाने के अपने रुख पर नहीं अड़े। पिछले 19 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किशनगंगा परियोजना का उद्घाटन किया था। इसके बाद पाकिस्तान का एक प्रतिनिधिमंडल इस परियोजना के खिलाफ विश्व बैंक पहुंचा था।
पाकिस्तान का कहना है कि कश्मीर में किशनगंगा बांध का निर्माण 1960 के सिंधु जल समझौते का उल्लंघन है। वह इस मामले को आईसीए में ले जाना चाहता है। वहीं भारत का कहना है कि पाकिस्तान व उसके बीच मतभेद बांध के डिजाइन को लेकर है इसलिए इसका समाधान किसी तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि सिंधु नदी पर पाकिस्तान की 80 प्रतिशत सिंचित कृषि निर्भर करती है। उसका कहना है कि बांध बनाने से न सिर्फ नदी का मार्ग बदलेगा बल्कि पाकिस्तान में बहने वाली नदियों का जल स्तर भी कम होगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान इस मामले में भारत का प्रस्ताव मानने को तैयार नहीं है। क्योंकि पाकिस्तान को डर है कि इससे वह अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में अपना पक्ष खो सकता है। साथ मध्यस्थता के सभी दरवाजे बंद हो सकते हैं। इसके बाद अन्य मामलों में जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी विवाद पैदा होगा तो इसी तरह के निष्पक्ष विशेषज्ञ के जरिए विवाद को सुलझाने की कोशिश की जा सकती है।
12 दिसंबर 2016 को विश्व बैंक के अध्यक्ष ने पाकिस्तान के तत्कालीन वित्त मंत्री इशाक डार को चिट्ठी लिखकर यह बताया था कि इस मामले में दखल के लिए वह फिलहाल तैयार नहीं है। साथ ही उसने आईसीए चेयरमैन के साथ ही निष्पक्ष विशेषज्ञ की नियुक्ति की प्रक्रिया को रोकने का फैसला लिया है। इसपर डार ने आपत्ति भी जताई थी लेकिन विश्व बैंक ने इसे अनसुना कर दिया। पाकिस्तान को लगता है कि एक तरफ विश्व बैंक ने आईसीए में यह मामला उठाने से उसके हाथ बांध रखे हैं और दूसरी तरफ उसने भारत को बांध बनाने से नहीं रोका है।
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